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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।

अथवा
ब्रोकेड्स से आप क्या समझती हैं? इसका उत्पादन किन क्षेत्रों में किया जाता है।
अथवा
ब्रोकेड्स क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों को समझाइए।
अथवा
परम्परागत ब्रोकेड कितने प्रकार के हैं? टिप्पणी कीजिए।

उत्तर -

ब्रोकेड शब्द लैटिन भाषा के ब्रोकस (Brochus) शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है नुकीले शस्त्र से छेदना। जो वास्तविक स्वर्ण ब्रोकेड है उसे ख्वाब नाम दिया है। ब्रोकेड पहले पश्चिमी देशों किन काब (Kin kab) और सिन काब (cin cob) कहा जाता था यद्यपि किन ख्वाब कार्य शब्द के उद्गम के विषय में बताना कठिन है लेकिन किन (kin) व काम (kam) इस बात के सूचक हैं कि इनका आपस में सम्बन्ध परशिया, अरब, स्पेन और भारत से है। विचारों और संकल्पनाओं के आधार पर ब्रोकेड़ एक मोटा वस्त्र है, इसकी बुनाई कपड़े की सतह पर फेंककर उभार कर बनाई जाती है अर्थात् इसमें बुनाई का नमूना मुख्यतः कपड़े के सामने की सतह पर उभरा हुआ होता है। वास्तविक किन-किन ख्वाब शुद्ध सोने से बुना जाता है। इसमें रेशम के धागों का उपयोग आधार प्रदान करने व रंगों का समावेश करने के लिए किया जाता है। यह एक भारी वस्त्र है। किन - ख्वाब यह साहित्यक नाम स्वप्न के समान सुन्दर और कपड़े की सत्यता दर्शाता है। काम का अर्थ कम व ख्वाब अर्थात् स्वप्न अर्थात् ऐसा सपना जो वास्तविकता से कम है। इसी प्रकार किन ख्वाब के बारे में कहा गया है कि किन अर्थात् छोटा एवं ख्वाब अर्थात् सपना। ब्रोकेड को किन ख्वाब कहा गया है क्योंकि यह इतना खुरदुरा होता है कि पहनने वाले व्यक्ति को नींद नहीं आती। चीनी भाषा में किन का अर्थ होता है, सुनहरा फूल।

ऋग्वेद से हम बहुत से ऐसे विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के प्रसंग मिलते हैं जिसमें सोने के वस्त्र के विषय में भी वर्णन है। जो भारतीय ब्रोकेड है वो भारत की बहुत पुरानी परम्परा है। "सोनारी" जो कि सोने के धागे से बनाई जाती थी एवं "रूपारी" चाँदी के तारों से बनायी जाती थी। शोभनीय रंग से ब्रोकेड किनारी (Border) बनाई जाती थी। भारतीय ब्रोकेड को "चाँद तारा" कहा जाता है क्योंकि कपड़े की पूरी सतह पर भारी कार्य किया जाता है। बनारस के ब्रोकेड्स अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध हैं।

ब्रोकेड्स के प्रकार

ब्रोकेड्स मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार की होती थीं -

(i) कमख्वाब - कमख्वाब का अर्थ है 'स्वप्न- सदृश सौंदर्य (Dream like beauty) इस नाम से ही इनके सौंदर्य का अनुमान लगाया जा सकता है। 'कमख्वाब' या 'कीमख्वाब' वस्त्रों में सोने और चांदी के तारों से वस्त्र की सतह पर उभरे उभरे से नमूने बनाए जाते थे।

नमूने सतह के अधिकतर भाग पर रहते थे और ऐसा लगता था कि समस्त वस्त्र ही सोने-चाँदी के तारों से बना हुआ है। ऐसे वस्त्रों से पुरुषों के वस्त्र जैसे-टोपी, अँगरखा, चोगे, अचकन, बंडी आदि बनते थे। महिलाओं के लहँगे और ब्लाउज में भी ये वस्त्र प्रयुक्त होते थे। ये वस्त्र राजदरबारों में पर्दे, गद्दी आदि के प्रयोग में आते थे। कमख्वाब वस्त्र बहुमूल्य होते थे, अतः धनी लोग ही इन्हें प्रयोग कर सकते थे। भारी वस्त्र होने के कारण इनका प्रयोग भी सीमित ही था। कमख्वाब जिसका सौन्दर्य स्वप्न से भी किसी अर्थ में कम न था, विलास और वैभव का प्रतीक माना जाता था।

(ii) वक्त अथवा पाटथान - वक्त भी एक प्रकार का ब्रोकेड वस्त्र ही होता था, जिसमें वस्त्र प्रमुख रूप से रंगीन सिल्क के धागों से बनाया जाता था और बीच-बीच में सुनहले अथवा रूपहले नमूने होते थे। इस वस्त्र को भी अचकन, अँगरखे, लहँगे आदि बनाने में प्रयोग किया जाता था।

(iii) आब-ए-रबाँ - कुछ ब्रोकेड वस्त्रों को 'बहता पानी' नाम दिया गया। ये सिल्क के वस्त्र होते थे जिन पर सोने-चाँदी के तारों का काम होता था। ब्रोकेड के वस्त्र के निर्माण के लिए बनारस सदैव से प्रसिद्ध था।

(iv) हिमरस तथा अमरस - हिमरस तथा अमरस औरंगाबाद (हैदराबाद) में निर्मित ब्रोकेड वस्त्र थे। हिम का अर्थ होता है बर्फ, अर्थात् ठण्डी ऋतु में पहने जाने वाले ये वस्त्र प्रायः सूती जमीन पर सिल्क द्वारा बनी ब्रोकेड से तैयार किए जाते थे। सामने की ओर नमूनों के रूप में, उभरने वाले सिल्क धागे पीछे की ओर लम्बी-लम्बी फ्लोट (Floats) बनाते थे, जिससे वस्त्र मुलायम, मोटा और रोएँदार हो जाता था। अमरस वस्त्रों मंव भी सिल्क के धागों का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता था। ऐसे ब्रोकेड वस्त्र सूरत और बनारस में भी बनते थे। ये अचकन, अँगरखे, लहँगे आदि के अतिरिक्त दरबार हॉल के कुशन, पर्दे, गद्दियाँ, राजसिहांसन आदि सजाने के काम आते थे। नवाबों एवं राजाओं के लिए इन्हें विशेष रूप से सुन्दर नमूनों में बनाया जाता था। ये अब भी हैदराबाद के समीप औरंगाबाद में बनाए जाते हैं, परन्तु अब इनमें उस सौंदर्य की झलक नहीं मिलती है जो पूर्व समय में होती थी।

ब्रोकेड्स के उत्पादित क्षेत्र

आजकल ब्रोकेड्स का उत्पादन मुख्य रूप से अहमदाबाद, तिरूचनापल्ली एवं मद्रास में होता है लेकिन बनारस ब्रोकेड्स का वास्तविक घर है। बनारसी किनख्वाब (Kin Khwab) की सबसे बढ़िया डिजाइन "शिकारगढ़" नमूनों के अस्तित्व के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है। भारतीय वस्त्र में दरबारी परम्परा की विलासिता का पूर्ण समावेश किया है। इसकी बुनाई रेशमी धागों और सोने-चाँदी के तारों को मिलाकर रंग-बिरंगे रंगों और फूलों वाले नमूनों में की जाती है जो कि बहुत भव्य व आकर्षक दिखाई देती है। ब्रोकेड्स रेशमी वस्त्रों में बहुत ही मनमोहक वस्त्र है जिसमें कि अद्वितीय, अतुलनीय राजकीय वैभव है।

ब्रोकेड्स बनाने की परम्परा बहुत पहले से भारत में कई केन्द्रों में प्रचलित थी लेकिन फिर भी ब्रोकेड्स बनाने की शैली सबसे आगे हैं। एक अलग कार्य के रूप में बनारस के ब्रोकेड्स अपनी अलग विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। ये सूरत और अहमदाबाद में भी निर्मित किए जाते हैं। इन पुराने ब्रोकेड्स की डिजाइनों में जानवरों और मनुष्यों के चित्रों के साथ चारों ओर फूलों की किनोर को बनाया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

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